बुधवार, 15 मई 2019

मन का अवरोही विज्ञान

विज्ञान का ज्ञान
हमारा मूलभूत जीवन-आधार
है अवरोही क्रम में
प्राण-वायु (ऑक्सीजन) , जल और भोजन ..
प्राण- वायु ... रंगहीन, गंधहीन,
स्वादहीन  और अदृश्य भी... 
जल ... रंगहीन, गंधहीन,
स्वादहीन पर दृश्य ...
भोजन रंगीन, गंधयुक्त,
स्वादयुक्त और दृश्य भी ...

कुछ रिश्ते भी  होते तो हैं
शायद ठीक-ठीक
अदृश्य प्राण-वायु की तरह
अदृश्य पर अति आवश्यक
जीवन-आधार जैसे
हर पल तन-मन से 
लिपटे इर्द-गिर्द, आस-पास, हर पल
दिन हो या रात पर अदृश्य... 
कुछ रिश्ते होते हैं और भी
आवश्यक  समय-समय पर
जल और भोजन की तरह

पर हाँ ... एक अंतर है
प्राण-वायु जैसे रिश्ते और प्राण-वायु में
ये रिश्ते होते हैं  प्राण-वायु से इतर
रंगीन, स्वादिष्ट, सुगन्धित और दृश्य भी
हर पल.. हर क्षण ... हर घड़ी..
तनिक ... मन की आँखों, मन की जिव्हा
और सरसों की फली-सी नर्म-नाजुक
मन की उँगलियों से टटोलकर ज़रा ...
तुम ही समझाओ ना ... मेरे नासमझ मन को
मन के रिश्तों का गूढ़ और अबूझ विज्ञान ....

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह्ह... सराहनीय सृजन👌
    बहुत अलग लिखते हैं आप..विचारों का तारतम्य और बिंब तो अचंभित कर जाता है...भावपूर्ण सुंदर सृजन।

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    1. मेरी रचना के आकलन और उत्साहवर्द्धक सराहना के लिए मन से धन्यवाद

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  2. कुछ रिश्ते भी होते तो हैं
    शायद ठीक-ठीक
    अदृश्य प्राण-वायु की तरह
    अदृश्य पर अति आवश्यक
    जीवन-आधार जैसे
    बहुत खूब.....सादर

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    1. मेरी रचना की कुछ पंक्तियाँ आपसे "बहुत खूब" लिखवा लिया; इसके लिए हार्दिक आभार आपका ...

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  3. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. नमस्कार !
      श्वेता जी , मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनंद" पर कल साझा कर के जो मान दिया है, उसके लिए आभार आपका ....

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. मन का विज्ञान अवरोही होता ही है। और आपका लेखन अद्भुत।

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    1. रचना आप को छू पाई, मेरे लिए बड़ी बात। हार्दिक आभार आपका ...

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  6. रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका ...

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  7. मन के रिश्तों का गूढ और अबूझ विज्ञान. !!!
    बहुत ही लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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  8. एक अलग सी शैली में किया गया आपका लेखन मन को प्रभावित करता है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  9. मन की बात मन को प्रभावित कर पायी ..... हार्दिक धन्यवाद आपका !

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  10. सराहनीय कविता ।सुन्दर प्रस्तुति । हार्दिक आभार ।

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  11. सुन्दर कविता । सराहनीय प्रस्तुति । हार्दिक आभार ।

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  12. रिश्ते और प्राणवायु की बेजोड़ तुलना की है आपने। अद्भुत परिकल्पना💐💐💐💐

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  13. वह वाह वाह आदरणीय
    सच भा गया मन के रिश्तों का ये विज्ञान। निःशब्द ही कर दिया आपने। सबके मन की उंगलियां टटोलती तो ज़रूर ही हैं पर हर कोई कहाँ इस तरह समझ या समझा पाता है मन का ये विज्ञान। अद्भुत शैली, सुन्दर लेखन, भावाभिवोर कर देने वाली रचना, को लिखकर, पढ़ने का सौभाग्य दिया आपने, इस हेतु हार्दिक आभार।
    बहुत ही सुन्दर भावों और उतने ही सुन्दर शब्दों से सजी सार्थक अभिव्यक्ति।

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