शनिवार, 30 मार्च 2019

मैं .. दो पंक्तियों में

तमाम उम्र मैं तो बस हैरान, परेशान, हलकान-सा तो कभी-कभी लहूलुहान बना रहा
मानो कभी मुसलमानों के हाथों की गीता तो कभी हिन्दुओं के हाथों का क़ुरआन बना रहा।

©सुबोध सिन्हा

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुस्वागम्. सर..ब्लॉग जगत में अभिनन्दन है आपका।
    हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

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  2. ब्लॉग की दुनिया में लाने में मदद करने के लिए मन से धन्यवाद आपका

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